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रविवार, 10 जनवरी 2010

लेकिन अब सभी समूहों में बटे है जब देश की मजबूती के लिए लड़ते थे .

स्त्री नारी पुरुष बजुर्ग युवा सभी को मिला के एक परिवार बनता है . भारत बनता है . इनमे से एक भी कड़ी कमज़ोर हो तो परिवार टूट जाता है . जैसा की कुछ सालो से हो रहा है . हम सभी खिन्न भिन्न हो गये है . सभी अपनी अपनी आवाज़ बुलंद करने में लगे है युवाओ का अलग संगठन है और महिलाओ का अलग . इतना ही नही भारत के हर शेत्र में करोड़ो लोग रहते है उनके अलग संगठन होते है किसी का जातीय तोर पर और किसी का सामाजिक तोर पर . अल्पसंख्यको का अलग . लेकिन आपको नही लगता इन सभी संगठनों ने भारत को बात सा दिया है सभी की अलग विचारधारा है सभी के अलग कानून . सभी के विचार केवल अपने स्वार्थो तक सिमित है युवाओ को अपना हक़ चाहिए नारी को अपना और पुरुष को अपना . मतलब साफ है हम सभी अपने आप में ही इतने उलझ से गये है की परिवार की नीव हिलने सी लगी है . कोई कहता है हम वन्दे मातरम नही गायेंगे . इस तरह के विरोध और इस तरह हमारा संगठित न रहकर अलग अलग मांगे करना देश को कहा ले जाकर थामेगा . जब देश गुलाम था तब नेता जी ने एक फोज़ को नाम दिया था आजाद हिंद   फोज उसमे सभी देश के लिए लड़ते थे आजादी के लिए लड़ते थे स्त्री हो या पुरुष . लेकिन आज सभी आपस में लड़ते है उसमे सभी धर्म जात के लोग थे . लेकिन अब सभी समूहों में बटे है जब देश की  मजबूती के लिए लड़ते थे .लेकिन अब सभी केवल ख़ुद को मज़बूत करना चाहते है सभी अपना घर भरना चाहते है . भारत के मुद्दे पर कोन आगे आता है . भारत को बाटने वाले भी हमी है .

3 टिप्‍पणियां:

  1. SAHI KHA APNE BHART ME AJKAL YE SAB HO RAHA HAI RASHTRIY SOCH KISI KE PAS BHI NHI HAI

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  2. . मतलब साफ है हम सभी अपने आप में ही इतने उलझ से गये है की परिवार की नीव हिलने सी लगी है .

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  3. कोई तो है..कुछ तो हैं कि राष्ट्र अभी भी एक तार में बंधा है.

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