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गुरुवार, 21 जनवरी 2010

एक देश को देखा था कभी मैंने

जब से कुछ समझने लगा हूँ तब से देख रहा हूँ मेरे देश के लोग हमारी संस्कृति को भुला रहे है या किसी न किसी रूप में नुकसान पंहुचा रहे है जाने अनजाने . सभी मेरे देश को सोने की चिड़िया कहते थे तभी इसे लुटने आते थे और अब भी कई देशो की गिद्ध दृष्टि इस पर लगी है . लेकिन उन्हें अलग रखकर देखे तो हम ख़ुद भी अपनी संस्कृति अपनी मर्यादाओ को भुला रहे है . गंगा जी में देखता हूँ तो हमारे ही भारतवासी उसमे गन्दा पानी छोड़ रहे है यही हाल जमुना का . यही हाल गौ माता का गौ वध निरंतर जारी है . भारत में प्रक्रति से भी खिलवाड़ हो रहा है . न ही बडो का सम्मान है और न ही छोटो की कोई मर्यादा . आज जो विदेशी भारत दर्शन को आते है उनमे से कोई विदेशी २०१५ में भारत आयेगा तो उसकी सोच यह होगी यह सब देखकर .




एक देश को देखा था कभी मैंने

जहा लगते थे शहीदों की चिताओ पर मेले


जहा करते थे साधू तप


जहा होता था सम्मान बड़ो का

एक देश को देखा था कभी मैंने






जहा नदियों को पूजा जाता था


जहा धरती को पूजा जाता था माँ कहकर



एक देश को देखा था कभी मैंने

जहा होती थी गाय जिन्हें कहते थे माँ

लेकिन देखा फिर तो अब क्या है बचा यहा

लेकिन देखा फिर तो अब क्या है बचा यहा

एक देश को देखा था कभी मैंने

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