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बुधवार, 12 मई 2010

मुस्लिम महिलाओं के लिये फतवा

कल ही मुस्लिम महिलाओं के लिये फतवा निकाला गया है की कोई भी मुस्लिम महिला उस जगह काम न करे जहा उसे मर्दों के साथ काम करना होता है अथवा जहा मर्द काम करते है . ये फतवा मुसलमानों की आजादी और आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर देगा . अगर इस फतवे को मुस्लिम-  महिलाओं ने माना तो न जाने कितनी मुस्लिम महिलाए अपना काम छोड़ देंगी . क्या ईस तरह के फतवे मुसलमानों को और अधिक पिछड़े - पण में नही ड़ाल देंगे . आज मुस्लिम महिलाए पत्रकारिता में है , राजनीति में है , स्कूलों में है , कालेजो  में है और भी कई विभागों में मुस्लिम महिलाए कार्यरत है . जिनसे इन्हें समाज में इज्ज़त और घर का खर्च चलाने में मदद मिलती है . इस तरह के फतवे निकालकर मुसलमानों की स्थिति को कमजोर किया जाता है और फिर मुस्लिमो के पिछड़ेपन और आरक्षण की बाते की जाती है . आज हिन्दू समुदाय बहुत सी बातो को त्याग चुका है और अधिकतर हिन्दुओ की खुशहाली का राज भी यही है और अपने संस्कारों को भी बचाए है . अगर हिन्दू संस्कृति में इस तरह के फतवों के लिये जगह होती तो क्या आजादी में जो योगदान महिलाओं का था वह आज होता और क्या हम इस तरह के फतवों से आजादी हासिल करते  . पुरूषों के साथ प़र फतवा निकालने से क्या होगा जब एक मुस्लिम तीन बीवी रख सकता है और जब चाहे तब तलाक दे सकता है क्या इस तरह से मुस्लिम महिलाओं को सम्मान की पद्धति से नवाज़ा जा रहा है . इस तरह के फतवे दिए जा रहे है जो की इतिहास में भी सुनने को शायद ही मिले क्या यह बाबर - के जमाने भी पुरानी सोच है .

6 टिप्‍पणियां:

  1. यह बाबर के जमाने से भी पुरानी सोच है ठीक कहा

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  2. यदि बराबरी की बात है तो यह फतवा ऐसे भी होना चाहिये -
    "कोई भी मुसलमान मर्द वहाँ काम नहीं करेगा जहाँ औरतें काम करतीं हैं।"

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  3. जब हम इस बाबत कुछ लिखते है तो यहाँ मुस्लिम बुद्धिजीवी कसमसाहट महसूस करते है ! इसलिए मैं तो कहता हूँ कि बहुत बढ़िया फतवा जारी किया गया है , ये नौकरियां जो ये मुस्लिम महिलाये कर रही है, अन्य धर्म के जरुरतमंदों को मिल जायेंगी :)

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  4. pc godiyaal ji,apko lagta h ke muslim mahilaon ki naukri chhorne se shayad apko naukri mil jayegi.par ye apki galat soch h.aur is manch ke zariye mein vikaas se bhi kahna chahunga k Fatwa dena moallim ka kaam h manna na manna logon par h.
    waise bhi islam mein Aurton or mardon ko barabri ka darja diya gaya h.barabri ke darje ke saath in logon ki kuch zimmedarian bhi baanti gayin h.ghar mein bachhon ki dekh bhaal ka kaam aurton ko diya gaya h. ye un par farz kiya gaya h.Aur mardon par ye farz kiya gaya h ke wo ghar ke kharche ke liye intezaam karen(economically).
    Agar koi aurat is par bhi job karna chahti h to koi manahi nahi h,albatta ke job karna uske liye security purpose se aur uska jo farz h yaani ghar ki aur bachhon ki dekhbhaal mein ade nahi aa raha,kar sakti h.Par mard yani uska husband uski salary par haq nahi jama sakta agar wo(yani aurat) chahe to apni puri salary apne husband ko de,aur chahe to apne paas rakhe,ya apne maan baap ko de.
    Aurat ke job karne ke ba wajud bhi ghar ke kharche aur apne(yani aurat ke kharche)ke liye mard yani uska husband hi zimmedar h.
    mere bhai vikas,Fauzia sharma,aor firdos ji fatwe pahle bhi diye jaate rahe hain par zyada tar ko logon ne nahi mana.

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