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रविवार, 5 फ़रवरी 2012

कल्कि अव्र्तार है सुब्रमन्यम स्वामी

हम जिसका कर रहे थे इंतज़ार
वह आ ही गये अब की बार
दुष्टों का करने संहार
भ्रष्टो का करने उद्धार
वह फिर से लड़ रहे है
कर्म का सन्देश दे रहे है
युद्ध कर रहे है
बिना शस्त्र ,बिना तलवार
न हाथो कोई बंदूक है
न कोई है हथियार
फिर भी वह अकेले लड़ रहे
वही है इस युग के कल्कि अवतार
भ्रष्टो की पूरी की फोज़ है
कलमाड़ी , ,शीला ,राजा, कनिमोझी
वह अकेले है ,न हाथ में तलवार ,न ही कोई हथियार
सच्चाई की ,संघर्ष की ताकत है उनके पास
वही है दुसरे कल्कि अवतार
डरे हुए सहमे हुए देशवासियों में 
जोश वो जगा रहे 
अकेले है ,एक है पर कर रहे  
जो सो ,सो नही कर सके  
अब मान लो तुम भी ये बात
अब मान लो तुम भी ये बात
कल्कि अव्र्तार है सुब्रमन्यम स्वामी

 

1 टिप्पणी:

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