चिट्ठाजगत
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सोमवार, 30 अप्रैल 2012

सचिन महान नही है !

आज मै सचिन समर्थको की नाराजगी झेलने आया हूँ ! हो सकता है आज मुझे कुछ ब्लोग्गर मित्र राष्ट्रद्रोही मानने लगे ! चुकी इस देश में सचिन को एक भगवान बना दिया गया है कुछ लोगो ने ! जिसकी वजह से ऐसे बहुत से लोग है जो सचिन के खिलाफ कुछ भी सुनना नही चाहते ! लेकिन मै सचिन को महान या भगवान नही मानता मै उन्हें भी एक आम आदमी या आम क्रिकेटर की तरह मानता हूँ ! कारण निम्नलिखित है !
१ सचिन भी और क्रिकेटरों की तरह नीलाम होते है !
२ सचिन भी पैसो के लिए खेलते है जैसे बाकी क्रिकेटर !
३ सचिन उस उम्र में भी खेलते है जब उनका पर्दर्शन अच्छा नही होता जब की अब उन्हें सन्यास लेकर नये खिलाडियों को मोका देना चाहिये !
४ सचिन ने कभी भी राज ठाकरे की हिंसाओ का विरोध नही किया बल्कि उनकी राज ठाकरे से दोस्ती है !
५ सचिन से बढ़िया खिलाड़ी हमारे देश में और भी हुए हुए है जैसे गांगुली ,कुंबले , कपिल लेकिन उन्होंने कभी खुद को भगवान कहलवाना पसंद नही किया !
मेरा मानना बिलकूल साफ़ है सचिन कोई भगवान नही है बल्कि वह एक साधारण इंसान है ! सचिन से बेहतर प्रदर्शन करने वाले इस देश में या फिर विदेश में बहुत से खिलाड़ी हुए है लेकिन उनके गुणगान में इस तरह का भोंडा प्रचार नही किया गया ! लेकिन हमारे मीडिया जगत और राजनातिक जगत के लोग उन्हें महिमा मंडित करते रहे है शायद उनकी कुछ मजबूरिया होंगी ! लेकिन इस देश के आम आदमी को सचिन भगवान लगने लगे है तब भी हमारे देश के मीडिया और राजनातिक मजबूरियों का ही दोष है ! काश इस देश के युवाओं के आइकोन भगत सिंह , सुब्रहमन्यम स्वामी , महराना प्रताप , विवेकानन्द , होते तब इस देश की तस्वीर कुछ और ही होती ! लेकिन अफ़सोस सचिन , शारुख ,आमिर ,सलमान ही इस देश के युवाओं के आदर्श बना दिए गये है जिसका खामियाजा देश भुगत रहा है !

शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

बाबा रामदेव जी टीम अन्ना से सावधान

मित्रो , पिछले कुछ दिनों से अनुमान लगाया जा रहा है की अन्ना हजारे अब बाबा रामदेव के साथ मिलकर काम करेंगे ! इसी कड़ी में अन्ना बार – बार बाबा रामदेव के साथ मुलाकात कर रहे है ! शायद यह अन्ना की खिसकती लोकप्रियता है जिसका अंदाजा अन्ना और उनकी टीम को मुंबई में हुए अनशन की भीड़ को देखने पर हुआ ! जिसमे जनता ने लगभग उनका साथ छोड़ दिया था ! इसी घटती लोकप्रियता को वापस पाने के लिए आज वही अन्ना बाबा रामदेव का साथ पाने की जी तोड़ कोशिशो में लगे है जो कभी बाबा के आने पर उनको मंच से निचे बैठने की बाते किया करते थे ! लेकिन बाबा रामदेव जी को अन्ना टीम की इस तरह की करतूतों से सबक लेने की जरूरत है ! चुकी यह वही अन्ना है जिन्होंने देश का ध्यान काले धन के मुद्दे से हटाकर जन्लोक्पाल पर ला दिया था जब की बाबा रामदेव की मेहनत से ही देश में काले धन और भ्रष्टाचार के प्रति देश में जागरूकता पैदा हुई थी ! लेकिन फिर भी देश को मुद्दे से भटकाने के बावूजद भी टीम अन्ना जन्लोक्पाल पास नही करवा सकी ! वही अन्ना की टीम में सेकूलर छवि के चलते अब भी कुछ ऐसे लोग है जिनका राष्ट्रवाद से दूर – दूर का नाता नही है ! उन्ही में से एक नाम है प्रशांत भूषण का जो अफजल गुरु का केस लड़ रहे है यह वही प्रशांत भूषण है जो एक बार काश्मीर पर बयानबाजी कर तेजिन्द्र सिंह बग्घा से पिटाई करवा चुके है ! लेकिन अफ़सोस की वे महात्मा अन्ना हजारे जी की टीम में अब भी बने है ! वही अपनी फिसलती जुबान से सुर्खिया पाने वाले केजरीवाल भी कभी इस्लामिक टोपी पहनकर मुसलमानों को रिझाने की कोशिश करते है लेकिन उन्हें रिझा नही पाते है बल्कि ऐसे -ऐसे कट्टरपन्थियो को मंच तक पहुचाते है जो की राष्ट्र से प्रेम तक नही करते राष्ट्रभक्ति की बात तो बहुत दूर की है ! ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या ऐसी टीम भर्ष्टाचार से लड़ने में बाबा रामदेव का राष्ट्रहित के लिए साथ दे पाएगी ! ऐसे में बाबा रामदेव को अन्ना और उनकी टीम से न सिर्फ सावधान रहने की जरुरत है बल्कि राष्ट्रहित के लिए टीम अन्ना से दूरी बनाने की भी जरूरत है !

मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

आतंकी से बेहतर है बाबा बन जाना !

पिछले कुछ दिनों से मिडिया और इन्टरनेट पर बवाल है इस बात को लेकर की नर्मल बाबा भक्तो से २००० रुपया लेते है ! जिसका जैसे गुस्सा निकलता है वह निकल रहा है ब्लोग्गर बंधू लेख से मीडिया खबरों की सनसनी से तो आम जनता सडको पर और साधू – संत न्यूज़ चनलो के स्टूडियो पर ! लेकिन सवाल यह उठ्त्ता है की निर्मलजीत सिंह नरूला निर्मल बाबा बन कैसे गये !
कई बार सुनने में आता है की मुसलमानों में शिक्षा की कमी और गरीबी उन्हें आतंकवादी बनने पर मजबूर करती है ! गरीबी और निर्मल बाबा का भी नाता रहा है आज तक को दिए इंटरव्यू में वह बार – बार यही बतलाने की कोशिश कर रहे थे की उन्होंने बहुत ही कष्टपूर्ण दिनों को देखा है ! झारखंड में एक परिवार ने उन्हें भगोड़ा करार दिया है। निर्मल बाबा ने उस परिवार के मकान में रहते हुए मकान मालिक को किराया भी नहीं दिया और ताला लगाकर भाग गए। वही निर्मल बाबा ने एक ईट का भट्ठा भी लगाया लेकिन उसमे सफल नही हुए ! गढ़वा में कपड़ा का बिजनेस किया. पर इसमें भी नाकाम रहे ! बहरागोड़ा इलाके में माइनिंग का ठेका भी लिया ! निर्मल बाबा का झारखंड से पुराना रिश्ता रहा है. खास कर पलामू प्रमंडल से. 1981-82 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) में रह कर व्यवसाय करते थे. चैनपुर थाना क्षेत्र के कंकारी में उनका ईंट-भट्ठा भी हुआ करता था, जो निर्मल ईंट के नाम से चलता था ! यदि निर्मल बाबा की पूरी जिन्दगी को देखा जाये तो उनमे एक असफल व्यापारी की छवि नजर आती है और यही कष्टों भरे दिन जब आज तक पर बाबा को याद आये तब भी बाबा से भावुक हुए बिना नही रहा गया ! इन्ही असफलताओं ने जालन्धर से झारखण्ड से दिल्ली के सफर तक निर्मल सिंह नरूला का साथ चोली दामन का बना रहा ! ऐसे नाजुक हालत और असफलताओं का परिणाम है की एक असफल व्यापारी निर्मलजीत सिंह नरूला निर्मल बाबा बन गया जो आज ! करोडो के वारे न्यारे कर रहा है !
कुछ लोग बाबा को ठग कहने को आजाद है तो कुछ अन्धविशवासी तो कुछ भारतीय परम्पराओं को ठेस पहुचने का दोषी ! लेकिन फिर भी गरीबी के कारण आतंकी या माओवादी होने से कही बेहतर है ठग बाबा का जीवन वय्तित किया जाये ! चुकी इसमें दुसरे के जीवन को बेहतर बनाने के लिए खीर से लेकर गोल – गप्पे खाने की बाते की जाती है न की गोली – बारूद से किसी को कत्लेआम करने की !

शनिवार, 14 अप्रैल 2012

निर्मल की आड़ में निशाने पर हिंदुत्व


यह ठीक है की बाबा पैसे लेते है हमे बेवकूफ बनाते है ! यह भी ठीक है की निर्मल सिंह नरूला ने बाबा शब्द की ही गरिमा को तार -तार कर रख दिया है ! यह भी ठीक है की निर्मल बाबा के समोसे ,पकोड़ो ,गोल गप्पो से असहमत हुआ जा सकता है ! हरी चटनी से किसी के दुःख दूर न हो ! यह भी ठीक है की निर्मल सिंह नरूला एक व्यापारी हो सकते है ! लेकिन एक निर्मल में पूरा हिन्दुत्त्व नही है या फिर निर्मल ही हिन्दुत्त्व का असली चहरा नही है जिसकी वजह से सपूर्ण हिन्दू धर्म के बाबाओं , मंत्रो या फिर योग को गरियाया जाए ! लेकिन मीडिया जिस तरह पूरे खेल को खेल रहा है उसमे वह न सिर्फ निर्मल बाबा के खिलाफ बोल रहा है बल्कि पूरे हिंदुत्व को बदनाम करने की साजिश रच रहा है ! जिन चमत्कारों या शक्तियों को भारत का जनमानस मानता आया है और महसूस करता आया है कही न कही सीधा निशाना उस पूरी सनातम परम्परा किया जा रहा है ! जो किसी भी तरह से सही नही माना जा सकता ! अभिसार शर्मा द्वारा सबसे तेज और सबसे पहले लिए गये निर्मल बाबा के इंटरव्यू में अभिसार ने कहा लाखो लोग मंदिर जाते है उनकी मन्नते तो पूरी नही होती ! एक पत्रकार का किसी धर्म विशेष के खिलाफ साजिश लगता है ! वही हिन्दुत्त्व विरोधी लोगो को स्टूडियो में बैठाकर निर्मल पर बहस को एक साज़िश के तहत पूरे सनातम परम्परा और कर्मकाण्डो को झुठलाना भी निर्मल की आड़ में पूरी सनातम परम्परा को बदनाम करने की साज़िश है ! जिस तरह से हर मुसलमान और हर इसाई मस्जिद या चर्च में जाते है वैसे ही हिन्दुओ की मंदिरों में आस्था है ! जिस तरह से किसी एक मोलवी या पादरी की गलत हरकत से इस्लाम या फिर ईसाइयत को बदनाम नही किया जा सकता ठीक उसी प्रकार एक निर्मल की वजह से पूरे हिन्दुत्त्व को बदनाम नही किया जा सकता ! लेकिन जैसे ही इंटरनेट पर निर्मल की कारगुजारियो का कच्छा चिटठा खोला गया हिन्दू विरोधी मानसिकता के लोगो ने हिन्दुत्त्व पर ही निशाना साध लिया ! जिसे किसी भी प्रकार जायज नही ठराया जा सकता ! जिस तरह से इंटरनेट पर खुद हिन्दू समुदाय के लोगो ने निर्मल बाबा का विरोध किया उसी तरह हिन्दू विरोधी मीडिया का भी विरोध होना चाहिए !

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

भाजपा सावधान ……….टीम अन्ना से !

सांसदों पर चोर – लूटेरो जैसी टिप्पणी कर टीम अन्ना ने एक बात साफ़ कर दी है की कही न कही यह टीम चुनाव लड़ने की मंशा पाले हुए है वाही अब तक टीम अन्ना का साथ दे रही भाजपा को हिमाचल और मध्य प्रदेश के मामलो में झटका देकर टीम अन्ना ने भाजपा को भी कोंग्रेस भाजपा एक जैसी दिखाने की कोशिश की है यह दोनों ही घटनाएं भाजपा जैसी चाल चरित्र के दावे करने वाली पार्टी को भी तराजू के उस पलड़े में रखने की कोशिश है जिस पलड़े में बाकी पार्टिया ! ऐसे में यदि टीम अन्ना लगातार सुर्खियों में बनी रहती है तो इसके पीछे कही न कही टीम का मिशन २०१४ है ! अन्ना के जिस आन्दोलन में भाजपा से लेकर संघ और बाकी हिन्दू संघठन भीड़ जुटाने में सहयोग करते है उसी आन्दोलन की वजह से टीम अन्ना की बेबाक राए और टिप्पणिया उसे उस भीड़ का हीरो बना रही है जिसके हीरो नरेंद्र मोदी या संघ से जुड़े लोग निश्चित तोर से वह भीड़ राष्ट्रीय सोच की है वर्तमान वयवस्था सत्ता से दुखी है सरकार की गलत नीतियों से तंग है महंगाई आतंक से पीड़ित है इसे में यदि इस आन्दोलन को चलाने वाले खुदा न खास्ता चुनावों में कूद पड़ते है तो इसका खामियाजा भाजपा जैसे दल भुगतना होगा चुकी जो लोग महंगाई ,आतंक ,भ्रष्टचार ,दागियो से दुखी है वह लोग इस आन्दोलन का नेत्रित्व करने वालो को देश की सत्ता सोपने या भागीदारी देने में संकोच नही करेंगे . यदि एसा वाकई होता है तो इसका सीधा नुक्सान भाजपा को होगा चुकी यह वाही जनता होगी जो केंद्र सरकार से दुखी है और भाजपा को सता में लाने में अपने मत का उपयोग कर सकती है लेकिन जिस तरह से अन्ना और उनकी टीम टिप्पणी कर रहे है और मीडिया का सहयोग टीम को प्राप्त है कही न कही भाजपा को सावधान होने की जरुरत है और दुसरे के कंधो पर बन्दुक न रखकर खुद के कंधे पर बन्दुक रखकर चलाने की जरूरत है .

नये भगवान के रूप में स्थापित होते बाबा राम रहीम

बाबाओ की बात चल निकली है तो तो बाबाओं पर ही आकर रूकती है और फिर घुमती है चुकी इस कलियुग में ऐसे – ऐसे बाबा लोग है जो खुद को भगवान साबित करने में लगे है उन्ही में से एक है बाबा राम राहीम . ये वाही राम रहीम है जिन्होंने जाम पिलाकर देश में बवाल मचा दिया था और सिखों ने सिरसा में डेरा डाल दिया था ये वाही है बाबा राम रहीम है जिन्होंने पंजाब विधानसभा चुनाव में कोंग्रेस को समर्थन दिया था .
उनके भक्तो का कहना वे इंसान को जोड़ते है प्रेम का सन्देश देते है लेकिन आलोचकों का मत है वह सदियों से चली आ रही भारत के हिन्दुओ में हिन्दुत्त्व की आस्था को तोड़ते है उनके भक्तो का मानना है वे अन्धिविश्वास में कमी ला रहे है लेकिन आलोचकों का मत है जो भक्त या लोग देवी -देवताओं को पूजते थे वह अब उन्हें पूजते है एक जीवित इंसान यानी बाबा राम रहीम की मूर्तियों को घरो में लगाते है बाबा राम रहीम के भक्तो के घरो के बाहर अक्सर एक टाइल होती जिस पर ” चाँद तारे का निशान , क्रोस का निशान , ओमकार का निशान , और ॐ का निशान अंकित होता है उस पर यह लिखा होता है ” धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा यु कहे तो बाबा राम रहीम सर्वधर्म का पाठ भी पढ़ाते है यह बाबा का अच्छा प्रयास माना जा सकता है लेकिन फिर भी इनके अनुयाइयो से अक्सर इनके आलोचकों की बहस हो जाती है ” उनका सवाल होता है की बाबा राम रहीम काश्मीर या फिर पाकिस्तान में जाकर सर्वधर्म का पाठ क्यों नही पढ़ाते या फिर किसी मुस्लिम इलाके में या फिर किसी इसाई इलाके में ? ……. वे बात को आगे बढ़ाते है यदि वह एसा करते है तो देश की सच्ची सेवा यही होगी …जवाब में उनके भक्त कहते है नही वह पकिस्तान भी जाते है और काश्मीर भी और मुस्लिम भी उनके भक्त है ….लेकिन आप भी समझ सकते है की बाबा कितने सफल हुए है मुसलमानों को सर्वधर्म का सन्देश देने में या फिर कितना सन्देश देने वह किसी मुस्लिम बहुल क्षेत्रो में जाते है . . बाबा के कई ऐसे भक्तो को भी देखा जाता है जो माथे पर तिलक लगाने में संकोच करते है और पूजा पाठ में भी उनका तर्क है की यह अंधविश्वास है कई बार उनकी बातो से यह आभास भी होता है की हिन्दुत्त्व को गरियाने वालो की एक और फोज़ देश में तैयार हो रही है जिसके निर्माता जाने अनजाने ही सही बाबा राम रहीम ही है जो खुद को महान इंसान या फिर एक गुरु या कलियुग के नये भगवान के रूप में स्थापित करते प्रतीत होते है . कई बार उनके सत्संगो में जाना होता है उनके अनुयायी जोर से बोलते है ‘ धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा और बगल में उनकी तस्वीर होती है राम और कृष्ण और दुर्गा को मानने वाले इस महान देश में कलियुग के नए बाबा भगवान के रूप में स्थापित हो रहे है ……… यह इस देश का दुर्भागया ही माना जा सकता है...... यह स्थिति देश की विचारधाराओ को तोड़ रही है जो कही न कही इन बाबाओ के अनुयायियों की जनसँख्या में वृद्धि कर भगवान में आस्था को कमजोर कर रही है

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

क्या वाकई निर्मल ‘ बाबा ‘ है

थर्ड आई ऑफ़ निर्मल बाबा कैसी भी समस्या हो समाधान करने वाले बाबा महज़ डेढ़ दो सालों मे लोकप्रियता की बुलंदियों को छू रहे निर्मल बाबा हर समस्या का आसान सा उपाय बताते हैं और टीवी पर भी ‘कृपा’ बरसाते हैं। काले पर्स में पैसा रखना और अलमारी में दस के नोट की एक गड्डी रखना उनके प्रारंभिक सुझावों में से है। इसके अलावा जिस ‘निर्मल दरबार’ का प्रसारण दिखाया जाता है उसमें आ जाने भर से सभी कष्ट दूर कर देने की ‘गारंटी’ भी दी जाती है। लेकिन वहां आने की कीमत २००० रुपये प्रति व्यक्ति है जो महीनों पहले बैंक के जरिए जमा करना पड़ता है। दो साल से अधिक उम्र के बच्चे से भी प्रवेश शुल्क लिया जाता है। हमारा सवाल सीधा है क्या वाकई ” बाबा ‘ है निर्मल चुकी २००० रुपए लेकर जिस तरह से समस्याओं का समाधान करने के दावे किये जा रहे है वह कही न कही इस बात की और इशारा कर रहा है की हमारे देश में इस तरह के बाबा लोग अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे है बल्कि मोटी कमाई भी कर रहे है वही हम भारतीयों को एसी काल्पनिक दुनिया या कहे चमत्कारिक दुनिया की और धकेल रहे है जो न सिर्फ हमारी समस्याओं का समाधान चुटकियो में कर सकते है बल्कि एक जीवित इंसान को भगवान का दर्ज़ा प्रचार के माध्यम से दिलाते है . एक और सवाल उठता है चुकी प्रचार किया जा रहा है की निर्मल “बाबा ” है क्या बाबा लोग समाज को सलाह या उसके उत्थान या अपने प्रवचनों के लिए भारतीय इतिहास में कभी पैसे लिया करते थे . नानक से लेकर गुरु रविदास , गुरु बाल्मिक , या फिर आचार्य चाणक्य ने कभी पैसो या हीरे मोति लेकर समाज को उपदेश या समाज को कोई दिशा नही दिए . हमारे भारतीय समाज में बाबा शब्द को बड़े ही सम्मान से लिया जाता है चुकी बाबा का अर्थ पिता के सामान भी होता है फिर कोई भी निर्मल २००० रुपए लेने के बाद निमल बाबा कैसे हो सकता है ? क्या एसा करके निर्मल “बाबा ” शब्द की गरिमा को ठेस नही पंहुचा रहे है ?

क्या वाकई निर्मल ‘ बाबा ‘ है

थर्ड आई ऑफ़ निर्मल बाबा कैसी भी समस्या हो समाधान करने वाले बाबा महज़ डेढ़ दो सालों मे लोकप्रियता की बुलंदियों को छू रहे निर्मल बाबा हर समस्या का आसान सा उपाय बताते हैं और टीवी पर भी ‘कृपा’ बरसाते हैं। काले पर्स में पैसा रखना और अलमारी में दस के नोट की एक गड्डी रखना उनके प्रारंभिक सुझावों में से है। इसके अलावा जिस ‘निर्मल दरबार’ का प्रसारण दिखाया जाता है उसमें आ जाने भर से सभी कष्ट दूर कर देने की ‘गारंटी’ भी दी जाती है। लेकिन वहां आने की कीमत २००० रुपये प्रति व्यक्ति है जो महीनों पहले बैंक के जरिए जमा करना पड़ता है। दो साल से अधिक उम्र के बच्चे से भी प्रवेश शुल्क लिया जाता है। हमारा सवाल सीधा है क्या वाकई ” बाबा ‘ है निर्मल चुकी २००० रुपए लेकर जिस तरह से समस्याओं का समाधान करने के दावे किये जा रहे है वह कही न कही इस बात की और इशारा कर रहा है की हमारे देश में इस तरह के बाबा लोग अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे है बल्कि मोटी कमाई भी कर रहे है वही हम भारतीयों को एसी काल्पनिक दुनिया या कहे चमत्कारिक दुनिया की और धकेल रहे है जो न सिर्फ हमारी समस्याओं का समाधान चुटकियो में कर सकते है बल्कि एक जीवित इंसान को भगवान का दर्ज़ा प्रचार के माध्यम से दिलाते है . एक और सवाल उठता है चुकी प्रचार किया जा रहा है की निर्मल “बाबा ” है क्या बाबा लोग समाज को सलाह या उसके उत्थान या अपने प्रवचनों के लिए भारतीय इतिहास में कभी पैसे लिया करते थे . नानक से लेकर गुरु रविदास , गुरु बाल्मिक , या फिर आचार्य चाणक्य ने कभी पैसो या हीरे मोति लेकर समाज को उपदेश या समाज को कोई दिशा नही दिए . हमारे भारतीय समाज में बाबा शब्द को बड़े ही सम्मान से लिया जाता है चुकी बाबा का अर्थ पिता के सामान भी होता है फिर कोई भी निर्मल २००० रुपए लेने के बाद निमल बाबा कैसे हो सकता है ? क्या एसा करके निर्मल “बाबा ” शब्द की गरिमा को ठेस नही पंहुचा रहे है ?